बाजार में तकनीक का समावेश बहुत ही तेज गति से होता है। खासकर कंप्यूटर के आने के बाद तो नित नई तकनीकी उपकरण शामिल होते जा रहे हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण टूल है डाटा। आज से दस-पंद्रह साल पहले तक कंप्यूटर से जुड़े उपकरणों का क्रैश हो जाना, डाटा करप्ट हो जाना और वायरस से पीडि़त हो जाना बहुत आम बात थी, कालांतर में बहुत से व्यवसायियों ने मल्टीपल लेयर सुरक्षा की व्यवस्थाएं की। आज भी डाटा को केवल कंप्यूटर में रखने के बजाय ऑफलाइन हार्ड डिस्क और ऑनलाइन क्लाउड पर भी रखते हैं।
दशाओं के ऐसे दौर में सावधान रहें दांव लगाने से…
ज्योतिषीय कोण से किसी भी प्रकार का डाटा, चाहे वह ऑफलाइन हो, कंम्प्यूटर पर हो या क्लाउड पर हो, तीनों प्रकार के डाटा को बुध से देखा जाता है। बुध वाणी का, संचार का और डाटा का कारक ग्रह माना गया है। जिस जातक की कुण्डली में बुध नकारात्मक रूप से प्रभावित होगा, उस जातक की वाणी में दोष होगा, उसके लिए कम्युनिकेशन मुश्किल होगा और उसका डाटा बार बार करप्ट होकर नष्ट होता रहेगा।
इसी बुध का दूसरा महत्वपूर्ण कोण है गोचर में बुध की स्थिति। बुध सूर्य का सबसे करीबी ग्रह है और पृथ्वी की तुलना में तीव्र गति से सूर्य की परिक्रमा करता है। जितना समय पृथ्वी एक बार सूर्य का चक्कर लगाने में लगाती है, उतने समय में बुध सूर्य के 88 चक्कर लगा चुका होता है। ऐसे में पृथ्वी से बुध की सापेक्ष गति देखी जाए तो कभी यह अतिचारी, कभी मंदचारी तो कभी वक्री दिखाई देता है। बुध की यही वक्र गति डाटा के लिए बड़ा नुकसानप्रद साबित होती है।
जिन जातकों की जन्मपत्रिका में बुध मार्गी हो, उन्हें गोचर में बुध वक्री होने के समय बहुत अधिक सावधान रहने की जरूरत होती है। उनके संचार उपकरण, उनके कम्युनिकेशन और उनके डाटा पर उस दौर में खतरा बना रहता है। दूसरी और जिन जातकों की जन्मपत्रिका में बुध नैसर्गिक रूप से वक्री है, उन जातकों को वक्री से पुन: मार्गी होता हुआ बुध इन्हीं मामलों में भारी क्षति करने की आशंका बनाए रखता है। अगर जातक की कुण्डली में बुध की दशा, अंतरदशा अथवा प्रत्यंतरदशा भी चल रही हो तो यह परिणाम अधिक तीव्रता के साथ दिखाई देते हैं।
इसके बचाव के लिए आप यह कर सकते हैं कि अपने डाटा को बुध वक्री होने से ठीक पूर्व ऑफलाइन सुरक्षित करके रख दें और जब तक बुध की वक्रता बनी रहे, तब तक किसी भी सूरत में उन्हें न छेड़ें। वक्री बुध के दिनों में प्रत्येक बुधवार गणेश मंदिर जाएं और गणेशजी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। ये उपचार जेनेरिक उपचार हैं। बाकी व्यक्तिगत जन्मपत्रिका के विश्लेषण से ही बताया जा सकता है कि बार बार वक्री बुध से होने वाले डाटा के नुकसान से कैसे बचा जाए।
सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी
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