नई दिल्ली। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने गुरुवार को कहा कि वह अगले 2-3 सप्ताह में बिजली वायदा अनुबंध (इलेक्ट्रिीसिटी फ्यूचर कांट्रैक्ट) शुरू करेगा। यह बिजली खरीदारों, विक्रेताओं, व्यापारियों, औद्योगिक और खुदरा विक्रेताओं को मूल्य जोखिमों का प्रबंधन करने की अनुमति देगा।
एनएसई के स्थिरता, बिजली, कार्बन बाजार और लिस्टिंग प्रमुख हरीश के आहूजा ने कहा कि हमारे पास सभी स्वीकृतियां हैं…हम सभी हितधारकों से बात कर रहे हैं। हमारी आंतरिक टीम पूरी तरह से तैयार है…2-3 सप्ताह के भीतर हम लॉन्च की तारीख की घोषणा करेंगे।
बिजली वायदा अनुबंध लॉन्च की तारीख की घोषणा के कुछ दिनों के भीतर एनएसई पर यह शुरु हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मासिक अनुबंध पूरे वर्ष उपलब्ध रहेगा, यह हर महीने के पहले कारोबारी दिन से शुरू होगा और अनुबंध समाप्त होने से एक दिन पहले खत्म हो जाएगा।
एनएसई के मुख्य व्यवसाय विकास अधिकारी श्रीराम कृष्णन ने कहा कि एक्सचेंज लॉन्च के बाद पहले छह महीनों के लिए बिजली वायदा अनुबंधों के व्यापार पर लेनदेन शुल्क माफ करने की योजना बना रहा है। एक महीने के बिजली वायदा अनुबंध का लॉट साइज 50 मेगावाट घंटा होगा, जो एक अनुबंध में 50,000 यूनिट बिजली के बराबर है।
तीन ऊर्जा एक्सचेंजों – इंडियन एनर्जी एक्सचेंज लिमिटेड, हिंदुस्तान पावर एक्सचेंज लिमिटेड और एचपीएल इलेक्ट्रिक एंड पावर लिमिटेड के 30-दिवसीय भारित औसत हाजिर मूल्य को लेकर कीमत तय की जाएगी।
मासिक बिजली अनुबंधों में ट्रेडिंग यूनिट के रूप में 50 मेगावाट घंटा, टिक साइज के रूप में 1 रुपए प्रति मेगावाट घंटा और अधिकतम ऑर्डर साइज 2,500 मेगावाट घंटा होगा। इसके अलावा, एनएसई अंतर के लिए अनुबंध (सीएफडी) की खोज कर रहा है जो अक्षय परियोजनाओं को स्थिर राजस्व प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
पिछले महीने, एनएसई को मासिक बिजली वायदा अनुबंध शुरू करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से मंजूरी मिली।
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत को अपने शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में पर्याप्त निवेश की आवश्यकता है, जो 2047 तक सालाना 250 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। वर्ष 2030 तक सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से देश की स्थापित बिजली क्षमता में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान मिलने की उम्मीद है। घरेलू और वैश्विक निवेशकों से जलवायु वित्त के इस पैमाने को आकर्षित करने के लिए एक मजबूत और गतिशील बिजली डेरिवेटिव बाजार आवश्यक है।
एनएसई भारत में बिजली एक्सचेंज स्थापित करने वाला पहला स्टॉक एक्सचेंज था, जिसने 2008 में पावर एक्सचेंज इंडिया लिमिटेड (पीएक्सआईएल) की शुरुआत की थी। स्पॉट और डेरिवेटिव दोनों बाजारों की हमारी मजबूत समझ हमें एक एकीकृत और तरल बिजली डेरिवेटिव बाजार बनाने के लिए अद्वितीय स्थिति में रखती है।