एक समय था, जब ड्रोन को देखकर लोग हैरत में पड़ जाते थे। बच्चे इसे उड़ने वाले खिलौने समझते थे, तो बड़े इसे सिर्फ सैन्य अभियानों से जोड़कर देखते थे। लेकिन आज, वही ड्रोन भारत के गांव-गांव में खेती की तस्वीर बदल रहे हैं, शहरों में पुलों का निरीक्षण कर रहे हैं, और आपदा के समय राहत का पहला माध्यम बन चुके हैं।
भारत की यह ड्रोन क्रांति सिर्फ एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि एक सामाजिक और आर्थिक आंदोलन बन चुकी है। और इस आंदोलन की अग्रिम पंक्ति में खड़ा है – AVPL International, एक ऐसा संगठन जो केवल प्रौद्योगिकी नहीं, राष्ट्र निर्माण का सपना देखता है।
गांवों से गगन तक: एक नई उड़ान की शुरुआत : सरकारी नीतियों और तकनीकी नवाचारों के साथ भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ा ड्रोन हब बनने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने देश को तीन श्रेणियों में बांटते हुए ड्रोन उड़ानों को नियंत्रित और सुलभ बनाया है – ग्रीन ज़ोन, येलो ज़ोन, और रेड ज़ोन। अब तक 166 ग्रीन ज़ोन चिन्हित किए जा चुके हैं, जहां ड्रोन बिना किसी पूर्व अनुमति के 400 फीट तक उड़ सकते हैं। यह कदम न केवल उद्योगों के लिए, बल्कि किसानों, नवोदित उद्यमियों और ग्रामीण युवाओं के लिए भी नए अवसरों के दरवाजे खोल रहा है।
जब आंकड़े बोलते हैं, तो भविष्य मुस्कुराता है: एवीपीएल इंटरनेशनल की संस्थापक प्रीत संधू का कहना है कि साल 2020 में भारत का ड्रोन बाज़ार लगभग ₹2,900 करोड़ था, जो 2025 तक ₹77,300 करोड़ और 2030 तक ₹2,95,000 करोड़ तक पहुँचने की संभावना रखता है। ये आंकड़े न सिर्फ इस उद्योग के तेज़ी से बढ़ते दायरे को दर्शाते हैं, बल्कि एक विशाल रोजगार सृजन की संभावना को भी उजागर करते हैं—जिससे अनुमानतः 1 मिलियन से अधिक लोगों को नौकरियाँ मिल सकती हैं, जिनमें ड्रोन पायलट, तकनीशियन, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डाटा एनालिस्ट और नियामक विशेषज्ञ शामिल हैं। भारत को ग्लोबल ड्रोन कैपिटल बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं और AVPL International इस परिवर्तन में एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है। हमने न केवल ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें सूक्ष्म-उद्यमी बनने की प्रेरणा दी है, बल्कि हाल ही में ड्रोन अनुसंधान एवं विकास (R&D) में ₹100 करोड़ के निवेश की योजना बनाकर भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर एक और मजबूत कदम दिया है। हमारे लिए ड्रोन केवल तकनीक नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के सपनों को उड़ान देने का माध्यम हैं।
जब नीति जमीन पर उतरती है, तो बदलाव जन्म लेता है: प्रीत संधू का कहना है कि भारत सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना, ड्रोन एयरस्पेस मैप्स के माध्यम से 90% हवाई क्षेत्र को ग्रीन ज़ोन घोषित करना और कौशल विकास व पायलट सर्टिफिकेशन जैसे कार्यक्रमों ने ड्रोन उद्योग को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, इस क्षेत्र की पूरी क्षमता को साकार करने के लिए कुछ अहम चुनौतियों का समाधान आवश्यक है। देश को स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देना होगा ताकि विदेशी निर्भरता कम हो, साथ ही मंजूरी प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाना होगा जिससे नवाचार को प्रोत्साहन मिले। इसके अलावा, अनुसंधान और तकनीकी नवाचार में निवेश बढ़ाना होगा ताकि भारत केवल तकनीक का उपभोक्ता न रहकर उसका निर्माता भी बन सके।
2047 का सपना: ड्रोन से सशक्त भारत: भारत जब आज़ादी के 100वें वर्ष यानी 2047 में एक $30 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, तब ड्रोन सिर्फ एक तकनीकी माध्यम नहीं होंगे। वे कृषि, शहरी विकास, आपदा प्रबंधन, निगरानी, परिवहन—हर क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाएंगे। और इस परिवर्तन की गाथा में हम AVPL International केवल भागीदार हैं, बल्कि पथ-प्रदर्शक हैं। यह यात्रा हमारे लिए केवल व्यापार नहीं है। यह राष्ट्र निर्माण, सशक्तिकरण और भविष्य गढ़ने का कार्य है। हम मानते हैं कि टेक्नोलॉजी का सबसे श्रेष्ठ उपयोग तब होता है, जब ये हर हाथ को हुनर और हर सपने को दिशा दे।
अंत में…: भारत की ड्रोन क्रांति की कहानी सिर्फ उड़ानों की नहीं है। यह कहानी है—हर युवा की जो अब गांव से शहर नहीं, खेत से गगन की ओर बढ़ रहा है। यह कहानी है—हर उस महिला की, जो ड्रोन उड़ाकर अपने परिवार को सशक्त बना रही है। और यह कहानी है—एक नए भारत की, जो टेक्नोलॉजी को अपनाकर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।
ड्रोन अब केवल भविष्य की बात नहीं हैं—वे आज का यथार्थ बन चुके हैं। और यह उड़ान, अभी बस शुरू ही हुई है।