मुंबई। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने तिलहन क्षेत्रों में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे प्रमुख तिलहनों को बढ़ावा देने की केंद्र सरकार की योजना का स्वागत किया है। इसमें कहा गया है कि इस कदम से देश को तेल आयात बिल कम करने में काफी मदद मिलेगी।
एसईए के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने ‘आत्मनिर्भर ऑयलसीड अभियान’ को एक दूरदर्शी रणनीति करार देते हुए कहा है कि इस योजना में उच्च उपज देने वाली किस्मों के लिए अनुसंधान, आधुनिक कृषि तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाना, बाजार संपर्क स्थापित करना, खरीद, मूल्यवर्धन और फसल बीमा जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अपनी अपील में, हमने ‘आत्मनिर्भर ऑयल सीड अभियान’ के सफल कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता मांगी। हमारा लक्ष्य अगले पांच वर्षों में खाद्य तेल आयात पर मौजूदा निर्भरता को 60 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत करना है।
भारत सालाना लगभग 150 लाख टन खाद्य तेल का आयात करता है, जिसका मूल्य 1.35 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। वित्त मंत्री ने गुरुवार को अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के लिए ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने की रणनीति बनाएगी।
उन्होंने कहा कि इसमें अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए अनुसंधान, आधुनिक कृषि तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाना, बाजार संपर्क, खरीद, मूल्य संवर्धन और फसल बीमा शामिल होगा।
हम यह भी चाहते थे कि सरकार तिलहन विस्तार कार्यक्रम और अनुसंधान गतिविधियों में लगी कंपनियों के साथ निजी भागीदारी को बढ़ावा दे। झुनझुनवाला ने कहा कि यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण सरकारी प्रयासों का पूरक होगा और देश में तिलहन उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)