मुंबई। भारतीय बेंचमार्क इंडेक्स, सेंसेक्स और निफ्टी, बुधवार को भारी बिक्री दबाव के कारण एक फीसदी से अधिक गिर गए। म्युचुअल फंड के लिए स्ट्रेस टेस्ट के नतीजे आने से पहले, स्मॉल- और मिड-कैप ने भी एक महीने से अधिक समय में अपने सबसे खराब कारोबारी सत्र का अनुभव किया। एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स 1.51 फीसदी गिरकर 21,997.70 पर आ गया, जबकि बीएसई सेंसेक्स 1.23 फीसदी घटकर 72,761.89 पर आ गया।
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बुधवार को कुल 3,976 शेयरों में सक्रिय रूप से कारोबार हुआ, जिनमें 405 बढ़त में, 3,510 गिरावट में और 61 अपरिवर्तित रहे। इनमें से 97 स्टॉक 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए, जबकि 253 स्टॉक 52-सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गए। 1,094 स्टॉक लोअर सर्किट में और 118 स्टॉक अपर सर्किट में थे। निफ्टी एफएमसीजी को छोड़कर सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए, जिसमें 0.05 फीसदी की मामूली बढ़त देखी गई। निफ्टी मेटल्स में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई, इसके बाद मीडिया, रियल्टी और तेल एवं गैस क्षेत्रों का स्थान रहा। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स में 4.40 फीसदी की गिरावट आई, जबकि स्मॉलकैप 100 इंडेक्स में 5.28 फीसदी की गिरावट आई।
विश्लेषकों का कहना है कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि 1,000 से अधिक स्टॉक निचले सर्किट में हैं, जो दर्शाता है कि इस सेगमेंट में और अधिक दर्द आने वाला है। म्यूचुअल फंडों की गतिविधियां भी व्यापक बाजार में अत्यधिक मूल्यांकन का संकेत देती हैं। आईसीआईसीआई प्रू अपनी मिड-कैप और स्मॉल-कैप योजनाओं में एकमुश्त निवेश को रोकने वाले दो अन्य प्रमुख फंडों में शामिल हो गया है। इसके और भी अनुसरण करने की संभावना है। इस बदलाव का शुद्ध प्रभाव लार्ज-कैप में अधिक धन आना होगा।