किसी व्यवसायी की कुण्डली में केतु की महादशा का दौर बहुत कठिन दौर होता है। चाहे वह महादशा हो, अंतरदशा हो, प्रत्यंतर हो या सूक्ष्म दशा हो। केतु की दशा के दौरान जो काम जहां होता है, वहीं थमकर रह जाता है। रत्ती भर भी आगे नहीं बढ़ता। चाहे कितने भी प्रयास कर लिए जाएं, किसी न किसी अटपटी समस्या को लेकर काम अटका हुआ पड़ा रहा है। केतु के पहले बुध का दौर होता है और बाद में शुक्र का। सामान्य तौर पर व्यापारियों के लिए यह दोनों ग्रह अनुकूल फल देने वाले होते हैं, लेकिन इन दोनों ग्रहों के बीच आती है केतु की दशा जो चलते हुए काम को अटका देती है। खासतौर पर नई योजनाओं और नए प्रोजेक्ट्स को यह केतु अधिक कठिनाई देता है।
ज्योतिष में केतु को हैडलैस कहा गया है। केतु में बुद्धि नहीं होती, केवल क्रिया होती है। यानी केतु के दौर में जातक काम खूब करता है, सुबह से शाम तक गले तक व्यस्तताओं में फंसा रहता है, लेकिन उसकी हालत कोल्हू के बैल जैसी ही रहती है। शून्य से शुरूआत कर पुन: शून्य पर आ टिकता है। अगर केतु की महादशा हो, जो कि सात साल तक चलती है, तो यह शून्य से शून्य तक की दौड़ बार बार होती है, अगर अंतरदशा हो जो कि लगभग एक साल की होती है, तो चक्कर कुछ छोटे हो सकते हैं। प्रत्यंतरदशा कुछ माह की होती है, इस अवधि में चल रहे काम बिल्कुल रूक जाते हैं, बिना किसी ठोस कारण के और सूक्ष्म दशा कुछ दिनों की होती है, तब कम्युनिकेशन गैप अथवा कागजों की पूर्ति जैसे निरर्थक कार्यों की एवज में काम अटका रहता है।
खराब बात यह है कि केतु अटकाकर रखता है, लेकिन इसी की अच्छी बात यह है कि केतु गिराता नहीं है, व्यापारी का प्रोफाइल या स्टेटस कमोबेश एक जैसा बना रहता है, अगर प्रगति नहीं होती तो गिरावट भी बहुत अधिक नहीं होती है। प्रयास अधिक होते हैं और सभी प्रयास निष्फल जाते हैं। केतु के ठीक बाद शुक्र का दौर आता है, चाहे महादशा में हो या सूक्ष्म में, तब केतु में किए गए प्रयासों का उचित फल शुक्र में मिलने लगता है, बशर्तें जातक की कुण्डली में शुक्र फलदायी स्थिति में विराजमान हो।
इस केतु के लिए सामान्यीकृत उपचार संकटमोचक गणपति के पाठ बताए जाते हैं और कुत्तों की सेवा करना बताया जाता है। अन्य विशिष्ट उपचारों के लिए आपको किसी सक्षम ज्योतिषी की सलाह लेकर केतु के उपचार करने चाहिए, इससे केतु के दौरान होने वाले तनाव से बचने में मदद मिलती है और गंभीर नुकसान होने से बचा जा सकता है।
सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी–+919413156400