नई दिल्ली। इंटरनेशनल कॉपर एसोसिएशन इंडिया ने आज कहा कि मार्च में समाप्त वर्ष में भारत की कॉपर की मांग 16.1 फीसदी बढ़कर 15.2 लाख टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब कोविड-19 महामारी के कारण 2020-21 में गिरावट के बाद कॉपर की मांग दोहरे अंक में बढ़ी है।
एसोसिएशन ने कहा कि भारत में कॉपर की खपत में वृद्धि शहरीकरण, उच्च डिस्पोजेबल आय, शहरी परिवहन के विस्तार, रेलवे के विद्युतीकरण और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की ओर बढ़ने से प्रेरित थी।
खपत का लगभग 62 फीसदी हिस्सा रिफाइन कॉपर से आया, जबकि शेष सैकंडरी कॉपर से आया। मांग को रिफाइन कॉपर (कैथोड) के उत्पादन में वृद्धि के माध्यम से पूरा किया गया जो 2021-22 में 4.85 लाख टन से बढ़कर 2022-23 में 5.63 लाख टन हो गया। वर्ष 2022-23 में भारत का कॉपर कैथोड आयात 180 फीसदी बढ़कर 1.75 लाख टन हो गया।
परिवहन क्षेत्र में प्रतिशत के लिहाज से कॉपर की खपत में सबसे बड़ी वृद्धि हुई है, मांग 2022-23 में 34 फीसदी बढ़कर 1.74 लाख टन हो गई है। अन्य क्षेत्र जिनमें उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, वे हैं निर्माण, बुनियादी ढांचा, औद्योगिक, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं और कृषि।
इसमें कहा गया है कि प्रीमियम और मध्यम आय वाले आवास क्षेत्रों में प्रति वर्ग फुट तांबे के उपयोग में वृद्धि के कारण निर्माण क्षेत्र की मांग 11 फीसदी बढ़कर 3.33 लाख टन हो गई। एसोसिएशन ने कहा, मौजूदा रुझान भारतीय कॉपर उद्योग में नए निवेश के लिए निरंतर और मजबूत विकास के अवसरों का संकेत देता है।