नई दिल्ली। भारत का बासमती चावल का निर्यात दिसंबर में 17.8 फीसदी बढ़कर 548,392 टन पहुंच गया, जो ईरान और सऊदी अरब द्वारा अधिक खरीद के कारण इस महीने में अब तक का सबसे अधिक है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि एक साल पहले इसी अवधि में भारत ने 465,489 टन का निर्यात किया था।
आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर में निर्यात किए गए बासमती चावल का मूल्य 5933.5 लाख डॉलर (49.41 अरब रुपए) था, जबकि एक साल पहले यह 4644.5 लाख डॉलर (38.90 अरब रुपए) था। जनवरी-दिसंबर के लिए, बासमती चावल के निर्यात का मूल्य 5.42 अरब डॉलर (447.8 अरब रुपए) तक पहुंच गया, जो अब तक का उच्चतम स्तर है, जो एक साल पहले इसी अवधि में 4.45 अरब डॉलर (353.20 अरब रुपए) से 20.6 फीसदी अधिक है। वर्ष 2023 में औसत प्राप्ति भाव 1,105 डॉलर प्रति टन था, जो 2022 के 1,021.6 डॉलर प्रति टन से अधिक था।
यमन के हौथी आतंकवादियों द्वारा नवंबर से लाल सागर में वाणिज्यिक शिपिंग पर हमले शुरू करने के बावजूद, भारत के बासमती चावल निर्यात पर सबसे कम प्रभाव पड़ा क्योंकि अधिकांश निर्यात पश्चिम एशियाई देशों जैसे बहरीन, इराक, ईरान, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को जाता है। दिसंबर में भारत के बासमती चावल निर्यात में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 443,076 टन या लगभग 81 फीसदी थी। हालांकि, मिस्र, इज़राइल, जॉर्डन और यूरोप को निर्यात प्रभावित हुआ।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया का कहना है कि ‘सरकार कम ब्याज दर पर वित्त देकर निर्यातकों को प्रोत्साहित कर रही है, जिससे भारतीय निर्यातकों की सौदेबाजी की शक्ति बढ़ी है।
दिसंबर में ईरान को बासमती का निर्यात साल दर साल 9.6 फीसदी और महीने दर महीने 80.4 फीसदी बढ़कर 109,337 टन हो गया। सऊदी अरब को निर्यात साल दर साल 2.3 फीसदी और महीने दर महीने 33.9 फीसदी बढ़कर 103,931 टन पहुंच गया। इराक को निर्यात साल दर साल 67 फीसदी और महीने दर महीने 101.1 फीसदी बढ़कर 75,277 टन हो गया। यूएई को निर्यात साल दर साल 55.9 फीसदी और महीने दर महीने 33.1 फीसदी बढ़कर 37,939 टन हो गया। यमन गणराज्य को निर्यात साल दर साल 33.2 फीसदी और महीने दर महीने 190.1 फीसदी बढ़कर 33,470 टन हो गया। अमेरिका को निर्यात साल दर साल 27.5 फीसदी और महीने दर महीने 8.1 फीसदी बढ़कर 21,093 टन पहुंच गया।
2023 में सऊदी अरब भारतीय बासमती चावल के सबसे बड़े खरीदार के रूप में उभरा, जिसने 2022 के 861,453 टन से 17.4 फीसदी अधिक यानी 101 लाख टन आयात करके ईरान को दूसरे स्थान पर धकेल दिया। तीसरा सबसे बड़ा आयातक इराक ने 661,600 टन खरीदा, जो 2022 के 333,752 टन के मुकाबले 98.2 फीसदी टन अधिक है।
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ईरान को निर्यात 2022 में 114.5 लाख टन से 36.4 फीसदी गिरकर 728,462 टन रह गया। सेतिया ने कहा कि ईरान एक प्रमुख बाजार है जहां हम उनके वित्तीय मुद्दों के कारण अब ज्यादा बिकवाली नहीं कर पा रहे हैं। यदि उनका समाधान हो जाता है, तो भारतीय बासमती चावल का निर्यात निश्चित रूप से 5-6 लाख टन तक बढ़ सकता है।
सेतिया का मानना है कि बैंकों के समर्थन के कारण बासमती चावल की निर्यात कीमतें स्थिर बनी हुई हैं, क्योंकि भारतीय विक्रेता इतनी जल्दी कीमतें कम नहीं करने जा रहे हैं, लेकिन भारतीय बाजार में कीमतें ठंडी हो गई हैं। पिछले महीने अधिक निर्यात के कारण कीमतों पर अचानक दबाव अब खत्म हो गया है और घरेलू बाजार में उबले बासमती चावल की कीमत 8-10 फीसदी गिर गई है।
उन्होंने कहा, देश में 85 लाख टन बासमती चावल का उत्पादन होता है, जिसमें से 45-50 लाख टन का निर्यात किया जाता है, 20 लाख टन टूटा हुआ चावल होता है और बाकी घरेलू खपत और अगले साल के लिए कैरी-फॉरवर्ड स्टॉक के लिए होता है।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)