Hyundai Motor India

Hyundai IPO: इस आईपीओ के जानें सात जोखिम

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मुंबई। हुंडई मोटर इंडिया का 27,870 करोड़ रुपए का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) मंगलवार, 15 अक्टूबर को खुलने वाला है, इसलिए बाजार हिस्सेदारी के हिसाब से दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी ने अपने रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (आरएचपी) में प्रमुख जोखिमों को चिह्नित किया है। इस इश्यू पर कोई कदम उठाने से पहले आपको इन सात बातों का ध्यान रखना चाहिए।

सार्वजनिक निर्गम में, जो बिक्री के लिए प्रस्ताव (ओएफएस) है, कोरियाई मूल कंपनी द्वारा 14.2 करोड़ शेयर बेचे जाएंगे। कंपनी को कोई आय नहीं मिलेगी और पूरी राशि मूल कंपनी को जाएगी। कंपनी ने आईपीओ का प्राइस बैंड 1,865-1,960 रुपए प्रति इक्विटी शेयर निर्धारित किया है।

1 हुंडई मोटर कंपनी की दो समूह कंपनियां किआ कॉर्पोरेशन और किआ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड हुंडई मोटर इंडिया के समान व्यवसाय में हैं और इसमें हितों का टकराव शामिल हो सकता है, जो उनके व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

2 हुंडई मोटर इंडिया अपने परिचालनों के लिए प्रमोटर कंपनी एचएमसी पर निर्भर है, जिसमें पार्ट्स और सामग्री (जैसे इंजन और ट्रांसमिशन असेंबली) और अनुसंधान एवं विकास शामिल हैं। एचएमसी और हुंडई मोटर समूह की कंपनियों के साथ उनके संबंधों में कोई भी प्रतिकूल परिवर्तन उनके व्यवसाय, प्रतिष्ठा, वित्तीय स्थिति और परिचालन के परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

3 रॉयल्टी समझौते के तहत हुंडई मोटर इंडिया द्वारा एचएमसी को देय रॉयल्टी शुल्क में किसी भी वृद्धि की स्थिति में, जिसमें सेबी लिस्टिंग विनियमों के तहत निर्धारित कंपनी के वार्षिक कंसोलिडेटेड कारोबार के 5 फीसदी की सीमा तक या उससे अधिक शामिल है, उनके प्रति शेयर आय सहित उनके लाभप्रदता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। एचएमआई अपने राजस्व का 3.5 फीसदी रॉयल्टी भुगतान अपनी मूल कंपनी एचएमसी को करता है।

4 पार्ट्स और सामग्रियों के लिए कंपनी की सीमित संख्या में आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता। पार्ट्स और सामग्रियों की उपलब्धता में कोई भी रुकावट उनके परिचालन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। इसके अलावा, उनके आपूर्तिकर्ताओं द्वारा उन्हें समय पर या बिल्कुल भी पुर्जे और सामग्री उपलब्ध कराने में विफलता, या उनके विनिर्देशों और गुणवत्ता मानकों के अनुसार, उनके मैन्‍युफैक्‍चरिंग और वितरण कार्यक्रमों को पूरा करने की उनकी क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।

5 कंपनी के संचालन के लिए आवश्यक पुर्जों और सामग्रियों की कीमतों में वृद्धि उनके व्यवसाय और संचालन के परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।

6 घरेलू यात्री कार सेगमेंट एक कुलीन बाजार है, जिसमें मारुति सुजुकी इंडिया, हुंडई मोटर इंडिया, टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा का दबदबा है। हालांकि, किआ मोटर्स और एमजी द्वारा बड़े शेयरों पर कब्जा करने के साथ प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है। फिर निसान, टोयोटा, स्कोडा और होंडा जैसे अन्य खिलाड़ी भी हैं।

7 कंपनी विशेष मुद्दों के अलावा, शेयर की लिस्टिंग बाजार के मूड और क्षेत्र विशेष के घटनाक्रमों के प्रति भी संवेदनशील है। मांग में कमी के बीच ऑटोमेकर्स को इन्वेंट्री ढेर का सामना करना पड़ रहा है।

पिछले एक महीने में बेंचमार्क निफ्टी में एफआईआई की बिक्री, भू-राजनीतिक तनाव और चीन में पैसे के जाने के कारण लगभग एक फीसदी की गिरावट आई है। फिर भी इस अवधि में निफ्टी ऑटो द्वारा 3.4 फीसदी के कुल रिटर्न के साथ ऑटो टॉप प्रदर्शनकर्ता रहा है।

ऑटो सेक्टर की निकट से मध्यम अवधि की संभावनाओं पर अभी भी जूरी का फैसला नहीं हुआ है। जबकि कुछ विशेषज्ञों ने मौजूदा मंदी पर चिंता जताई है, वहीं अन्य हुंडई मोटर इंडिया के मार्की आईपीओ के साथ ऑटो उद्योग के लिए फिर से रेटिंग की उम्मीद कर रहे हैं।

नुवामा के एक नोट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में घरेलू पीवी उद्योग की मात्रा में सालाना आधार पर 1 फीसदी की गिरावट आई है। एलकेपी रिसर्च का मानना है कि सेक्टर में मंदी हुंडई के लिए अच्छी खबर है क्योंकि कंपनी अगले 2 से 3 सालों में अपनी क्षमता में 30 फीसदी का विस्तार कर रही है। ब्रोकरेज ने कहा कि नए मॉडल लॉन्च (मध्यावधि में 4, जिसमें नई क्रेटा ईवी भी शामिल है) के साथ एचएमआई को अपने प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी टक्कर देनी चाहिए।

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