मुंबई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर यूनिक रजिस्टर्ड निवेशक आधार 8 अगस्त, 2024 को 10 करोड़ की संख्या को पार कर गया। एक्सचेंज के साथ पंजीकृत ग्राहक कोड (खातों) की कुल संख्या 19 करोड़ है (सभी ग्राहक पंजीकरण सहित)। बता दें कि ग्राहक एक से अधिक ट्रेडिंग सदस्यों के साथ रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
एनएसई के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में एनएसई में निवेशक पंजीकरण में तेजी आई गई है। परिचालन शुरू होने के 14 साल बाद पंजीकृत निवेशक आधार एक करोड़ तक पहुंच गया, अगले एक करोड़ निवेशकों को जोड़ने में लगभग सात साल लगे, उसके बाद के एक करोड़ निवेशकों को लगभग साढ़े तीन साल लगे और अगले करोड़ निवेशकों को एक साल से थोड़ा अधिक समय लगा। दूसरे शब्दों में, पंजीकृत निवेशक आधार को मार्च 2021 में 4-करोड़ का आंकड़ा छूने में 25 साल से अधिक का समय लग गया। बाद में एक-करोड़ की बढ़ोतरी (4 करोड़ से 10 करोड़ तक) तेज गति से हुई है और इसमें औसतन लगभग 6-7 महीनों का ही समय लगा। अंतिम करोड़ निवेशक केवल पांच महीनों में जुड़े।
इस अवधि के दौरान, दैनिक नए यूनिक निवेशक पंजीकरण औसतन 50,000 से 78,000 के बीच हुए हैं। डिजिटलीकरण में तेजी से बढ़ोतरी, बढ़ती निवेशक जागरूकता, वित्तीय समावेशन और निरंतर बाजार प्रदर्शन के कारण पिछले पांच वर्षों में निवेशक आधार में तीन गुना से अधिक का इजाफा देखा गया है। चालू वित्त वर्ष में अब तक (31 जुलाई, 2024 तक), बेंचमार्क निफ्टी 50 इंडेक्स ने 11.8 फीसदी का रिटर्न दिया है, जबकि निफ्टी 500 इंडेक्स ने इसी अवधि के दौरान 16.2 फीसदी की मजबूत बढ़त हासिल की है। जुलाई 2024 को समाप्त पिछले पांच साल की अवधि में वार्षिक रिटर्न निफ्टी 50 और निफ्टी 500 के लिए क्रमशः 17.5 फीसदी और 21.1 फीसदी रहा है।
आज भारत में 10 करोड़ पंजीकृत निवेशकों की औसत आयु लगभग 32 वर्ष है, जिनमें से 40 फीसदी 30 वर्ष से कम उम्र के हैं। केवल पांच वर्ष पहले औसत आयु 38 वर्ष थी, जो युवाओं के बीच बाज़ारों में बढ़ती रुचि को दिखाता है। आज लगभग पांच में से एक निवेशक महिला है।
पिछले एक करोड़ पंजीकरणों में से, लगभग 42 फीसदी उत्तर भारत से थे, इसके बाद पश्चिम भारत (25 फीसदी), दक्षिण भारत (18 फीसदी) और पूर्वी भारत (14 फीसदी) थे। नए निवेशक पंजीकरण में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सबसे आगे बने रहे और कुल मिलाकर इनमें से एक चौथाई से अधिक निवेशकों का पंजीकरण यहीं हुआ। यह वृद्धि सभी राज्यों में देखी गई है। तकरीबन 30 पिन कोड को छोड़कर सभी में कम से कम एक व्यक्ति सीधे बाजार में निवेश कर रहा है। पिछले पांच महीनों में सभी नए निवेशक पंजीकरणों में से 46.5 फीसदी से अधिक शीर्ष 100 जिलों से परे जिलों से आए (इस अवधि में नए पंजीकरणों की संख्या के अनुसार)। वर्तमान में, यूनिक रजिस्टर्ड निवेशकों की सबसे अधिक संख्या 1.7 करोड़ महाराष्ट्र से है, इसके बाद 1.1 करोड़ निवेशकों के साथ उत्तर प्रदेश और 87 लाख निवेशकों के साथ गुजरात का नंबर आता है।
इस अवधि के दौरान अप्रत्यक्ष भागीदारी में भी बढि़या इजाफा हुआ1 इस साल मार्च और जून के बीच लगभग 2.1 करोड़ नए एसआईपी खाते खोले गए और औसत मासिक एसआईपी प्रवाह (फ्लो) 20,452 करोड़ रुपए पहुंच गया जो बीते छह महीनों में 17,613 करोड़ रुपए था।
एनएसई के चीफ बिजनेस डेवलपमेंट ऑफिसर श्रीराम कृष्णन का कहना है कि हम इस वर्ष अपने निवेशक आधार में एक और महत्वपूर्ण मील के पत्थर तक पहुंच गए हैं। फरवरी के अंत में 9 करोड़ के आंकड़े की उपलब्धि के बाद, यह सराहनीय है कि एक्सचेंज पर शामिल निवेशकों की संख्या केवल पांच महीनों के भीतर एक करोड़ अतिरिक्त बढ़ गई है। इस वृद्धि के पीछे कई प्रमुख कारक रहे जिनमें सुव्यवस्थित नो योर कस्टमर (केवाईसी) प्रक्रिया, हितधारक के नेतृत्व वाले निवेशक जागरूकता कार्यक्रमों द्वारा बढ़ी हुई वित्तीय साक्षरता और सकारात्मक बाजार भावना को बनाए रखना शामिल है। विभिन्न एक्सचेंज-ट्रेडेड वित्तीय साधनों, जैसे कि इक्विटी, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ), रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (आरईआईटी), इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट), सरकारी बॉन्ड और कॉर्पोरेट बॉन्ड में बढ़ी हुई भागीदारी की इसमें खासी भूमिका रही।