Stock Market

एनएसई और बीएसई के कैश इक्विटी सेगमेंट में कारोबार पड़ा धीमा

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मुंबई। एनएसई और बीएसई के कैश इक्विटी सेगमेंट में कारोबार पिछले दो महीनों में धीमा पड़ गया है, जबकि बाजार नई ऊंचाई पर पहुंच रहा है। आम चुनाव के नतीजे पर अनिश्चितता के बादल छाए रहने के बीच उच्च अस्थिरता और मूल्यांकन में तेजी के कारण रिटेल और उच्च नेटवर्थ निवेशक अपना निवेश रोक रहे हैं।

पिछले दो महीनों में एनएसई पर ट्रेडों की संख्या में 28 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह फरवरी में 87.21 करोड़ के उच्चतम स्तर से घटकर अप्रैल में 68.10 करोड़ रह गया। जियोजित रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार, इसी तरह, बीएसई पर यह फरवरी में 10.58 करोड़ से 38 प्रतिशत घटकर अप्रैल में 7.66 करोड़ रह गया।

जियोजित रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक स्टॉक की कीमतों में तेजी के बावजूद, एनएसई पर औसत कारोबार फरवरी में दर्ज किए गए 1.17 लाख करोड़ रुपए के मुकाबले अप्रैल में 10 प्रतिशत गिरकर 1.06 लाख करोड़ रुपए रह गया, जबकि समीक्षाधीन अवधि में बीएसई का औसत कारोबार 10,527 करोड़ रुपए के मुकाबले घटकर 7,638 करोड़ रुपए रह गया।

महीनाऔसत टर्नओवर
एनएसई करोड़ रु.बीएसई लाख रु.एनएसई लाख रु.बीएसई करोड़ रु.
अप्रैल68.107.661.06 
मार्च64.827.0997739*9072
फरवरी87.2110.581.1710527
जनवरी84.6510.881.139811
दिसंबर68.228.481.049694
*करोड़ में सोर्स: जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि नकदी बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा निरंतर बिकवाली और बाजार में अस्थिरता के कारण खुदरा और उच्च नेटवर्थ निवेशकों द्वारा नए निवेश से परहेज किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि चीन के शेयरों के सस्ते मूल्यांकन के कारण अकेले इस महीने एफपीआई ने नकदी बाजार में 34,460 करोड़ रुपए की इक्विटी बेची है।

दूसरी ओर, उन्होंने कहा कि मतदान के पहले तीन चरणों में मतदान प्रतिशत में गिरावट ने भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की आसान जीत की आशा को धूमिल कर दिया है। हालांकि, स्थिति एक बार फिर धीरे-धीरे सत्तारूढ़ सरकार के पक्ष में बदल रही है और एफपीआई हाल के दिनों में बाजार में लौट रहे हैं।

यूट्रेड सॉल्यूशंस के सह-संस्थापक और सीईओ कुणाल नंदवानी ने कहा कि लंबी चुनाव अवधि के कारण हाल के महीनों में इक्विटी निवेश और व्यापार में गिरावट आई है, जिससे खुदरा निवेशकों को इंतजार करो और देखो का दृष्टिकोण अपनाने को मजबूर किया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक अनिश्चितता और उच्च बाजार स्तर के संयोजन के कारण खुदरा निवेशक अपनी रणनीतियों को रोक रहे हैं और उनका पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं, जिससे बाजार गतिविधि में सुस्‍ती आ रही है।

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