नई दिल्ली। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार किसानों से आने वाली दलहन में नमी की मात्रा अधिक रहने से सरकार को तुअर (अरहर) खरीद में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी ने कहा कि पिछले सप्ताह तक, सरकार ने किसानों से केवल 2,500-3,000 टन तुअर की खरीद की थी क्योंकि जो आपूर्ति आ रही है उसमें नमी का स्तर अधिक है।
दिसंबर और जनवरी में प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में अनियमित वर्षा से तुअर फसलों में नमी की मात्रा बढ़ गई। तुअर उत्पादक मुख्य राज्य कर्नाटक में साल की शुरुआत से अब तक सामान्य से 143 फीसदी अधिक बारिश हुई है। बता दें कि तुअर एक ख़रीफ़ फसल है, आमतौर पर जून-जुलाई में बोई जाती है और दिसंबर और जनवरी में काटी जाती है।
अधिकारी ने कहा कि सरकार मोजाम्बिक से तुअर आयात से भी जूझ रही है क्योंकि शिपमेंट में देरी हो रही है। अधिकारी ने कहा कि आयात पूरी स्पीड से नहीं हो रहा है क्योंकि मोजाम्बिक में इकाइयां लगातार समस्याएं पैदा कर रही हैं। कमोडिटी फर्म एक्सपोर्ट ट्रेडिंग ग्रुप और रॉयल ग्रुप लिमिटाडा के बीच टकराव के कारण पिछले कुछ महीनों में दक्षिण-पूर्व अफ्रीकी देश से तुअर की आपूर्ति में बाधा आई।
रिपोर्टों के अनुसार, भारत में छोटी जोत वाले किसान अपनी उपज निजी व्यापारियों को बेचना जारी रखते हैं, जबकि बड़ी जोत वाले कई किसानों ने तुअर की कीमतें बढ़ने की उम्मीद में अपनी फसल को रोकने का विकल्प चुना है। इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन के अनुसार, आज प्रमुख बाजारों में तुअर की कीमतें 9,000-10,500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच थीं। हालांकि पिछले महीने के स्तर की तुलना में पिछले कुछ दिनों में कीमतों में गिरावट आई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल कम आपूर्ति की चिंताओं के कारण दरें बढ़ सकती हैं।
कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में तुअर का उत्पादन 34 लाख टन होने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन के लगभग समान है। हालांकि, व्यापारियों को उम्मीद है कि उत्पादन सरकार के अनुमान से कम रहेगा। वर्ष 2021-22 में, भारत ने 42 लाख टन तुअर का उत्पादन किया।
(मोलतोल ब्यूरो; +91-75974 64665)