मुंबई। इस वित्तीय वर्ष में आईपीओ के माध्यम से इंडिया इंक द्वारा जुटाई गई धनराशि वित्त वर्ष 2022-23 में जुटाई गई 52,116 करोड़ रुपए की तुलना में 19 प्रतिशत बढ़कर 61,000 करोड़ रुपए हो गई।
हालांकि, प्राइम डेटाबेस के अनुसार, मई 2022 में 21,000 करोड़ रुपए के मेगा एलआईसी आईपीओ को छोड़कर, संग्रह साल-दर-साल बढ़कर 58 प्रतिशत बढ़ा। अर्थव्यवस्था में उछाल को देखते हुए, वित्त वर्ष 2022-23 की 37 कंपनियों की तुलना में इस वित्त वर्ष में 75 कंपनियां प्राथमिक बाजार में आईं। अधिक संख्या में कंपनियों द्वारा बाजार का दोहन करने के कारण इस वित्तीय वर्ष में औसत सौदे का आकार वित्त वर्ष 23 के 1,409 करोड़ रुपए से काफी कम होकर 815 करोड़ रुपए रहा।
मेनबोर्ड आईपीओ में, मैनकाइंड फार्मा 4,326 करोड़ रुपए के साथ सबसे बड़ा था, इसके बाद जेएसडब्लू इंफ्रास्ट्रक्चर 2,800 करोड़ रुपए के साथ था। सबसे छोटा आईपीओ प्लाजा वायर्स का था, जिसने 71 करोड़ रुपए जुटाए थे।
प्रमुख बेंचमार्क सूचकांकों के नई ऊंचाई पर पहुंचने के साथ, वित्त वर्ष 2024 में औसत लिस्टिंग लाभ बढ़कर 29 प्रतिशत हो गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 9 प्रतिशत था।
75 आईपीओ में से 48 ने 10 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दिया। विभोर स्टील ने पहली बार 193 प्रतिशत का सबसे बड़ा रिटर्न दिया, उसके बाद बीएलएस ई-सर्विसेज (175 प्रतिशत) और टाटा टेक्नोलॉजीज (163 प्रतिशत) का स्थान रहा। 75 में से 50 से अधिक आईपीओ वर्तमान में 65 प्रतिशत के औसत रिटर्न के साथ इश्यू प्राइस से ऊपर कारोबार कर रहे हैं।
प्राइम डेटाबेस ग्रुप के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा कि बाजार में आए 75 आईपीओ में से 54 आईपीओ को 10 गुना से अधिक सब्सक्राइब किया गया था, जिनमें से 22 आईपीओ को 50 गुना से अधिक सब्सक्राइब किया गया था जबकि 11 आईपीओ को तीन गुना से अधिक सब्सक्राइब किया गया था। अन्य 10 आईपीओ को 1 से 3 गुना तक ओवरसब्सक्राइब किया गया।
रिटेल निवेशकों की प्रतिक्रिया भी पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में अधिक रही। रिटेल आवेदनों की औसत संख्या पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 6 लाख से बढ़कर 13 लाख हो गई। टाटा टेक्नोलॉजीज, दो दशकों में पहला टाटा समूह का आईपीओ है, जिसमें 50 लाख से अधिक रिटेल आवेदनों के साथ सबसे अधिक संख्या में खुदरा आवेदन आए, इसके बाद डोम्स इंडस्ट्रीज (41 लाख) और आईनॉक्स इंडिया (37 लाख) का स्थान रहा।
वित्त वर्ष 2023-24 में, 96 कंपनियों ने सेबी के पास अपने ऑफर दस्तावेज़ दाखिल किए, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह संख्या 75 थी। हालांकि, 59,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बना रही 37 कंपनियों ने अपनी मंजूरी समाप्त कर दी, जबकि 1,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बना रही दो कंपनियों ने अपने दस्तावेज़ वापस ले लिए। सेबी ने 2,500 करोड़ रुपए जुटाने की चाह रखने वाली पांच कंपनियों के ऑफर दस्तावेज़ लौटा दिए।